
Jagannath Rath Yatra Puri: Welcome to my blogs! In this post we will learn about Jagannath Rath Yatra Puri with complete details.
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दोस्तों आषाढ़ महीना आते ही भगवान् जगन्नाथ , भगवान् बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा की धमक शुरू हो जाती है . यह रथा यात्रा का त्यौहार बहुत ही प्रचलित है . क्योकि इस रथ यात्रा का महत्व देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रचलित है . वैसे भी रथ यात्रा का त्यौहार की शुरुआत हो चुकी है . इस पोस्ट में हम रथा यात्रा के बारे में बात करेंगे . ये रथ यात्रा क्या है ? रथा यात्रा कहाँ से निकलती है ? रथ यात्रा किस देवी और देवता को समर्पित है ? और ये रथ यात्रा किस समुदाय के लोग मनाते है . सबकुछ जानेंगे हम इस पोस्ट में विस्तार से चर्चा करेंगे .
रथ यात्रा का त्यौहार उड़ीसा के पूरी शहर से जुड़ा है . और यह रथ यात्रा का त्यौहार हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है . यह रथ यात्रा का त्यौहार देश के कई हिस्से में मनाई जाती है . यह त्यौहार भगवान् जगन्नाथ , भगवान् बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है . भगवान् श्रीकृष्ण को जगन्नाथ और भगवान् बलराम को भगवान् बलभद्र कहा गया है .
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रथ यात्रा का त्यौहार हिन्दू धर्म में अत्यंत उत्साह और धूम-धाम से मनाई जाती है . यह प्रसिद्ध त्यौहार उड़ीसा के पूरी शहर में हर साल मनाई जाती है . यह त्यौहार प्रत्येक साल आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाई जाती है. और इस अवसर पर भगवान् जगन्नाथ , भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ भ्रमण पर निकलते है . और हिन्दू कैलेंडर के अनुसार रथ यात्रा का त्यौहार 27 जून 2025 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा .
भगवान् जगन्नाथ , भगवान् बलभद्र और देवी सुभद्रा की यह रथ यात्रा का यह त्यौहार पुरे नौ दिनों तक चलती है और यह रथ यात्रा 5 जुलाई को समाप्त होगी . इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु भक्त इस रथ को खींचते हुए चलते है और भगवान् जगन्नाथ , भगवान् बलभद्र और देवी सुभद्रा को पुरे शहर दर्शन कराते है . यह त्यौहार भक्ति, आस्था और एकता का प्रतीक माना गया है .
स्नान पूर्णिमा कब है?
आज स्न्नान पूर्णिमा का धार्मिक त्यौहार है . यह त्यौहार उड़ीसा में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है . और इस पवित्र स्न्नान पूर्णिमा पर भगवान् जगनाथ , भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा की स्नान जलाभिषेक पवित्र रीती से कराइ जाएगी .और यह स्न्नान पूर्णिमा का अनुष्ठान रथ यात्रा की शुरुआत का प्रतिक है . इस दुर्लभ स्न्नान को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु एकत्र होते है . और जलाभिषेक स्न्नान जगनाथ मंदिर में कराई जाएगी .
यह पवित्र स्न्नान पौराणिक परंपरा के अनुसार भगवान् जगनाथ भगवान् बलभद्र और बहन सुभद्रा को मंदिर परिसर के अंदर स्वर्ण कुएं से निकाले गए 108 घड़ों के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है . स्नान यात्रा ही एकमात्र अवसर है जब भक्तों को अनासार के लिए प्रस्थान करने से पहले एक भव्य सार्वजनिक अनुष्ठान में तीनों देवताओं को एक साथ देखने का दुर्लभ मौका मिलता है, और ऐसा माना जाता है कि पखवाड़े भर की आराम और पुनर्प्राप्ति की अवधि उनके औपचारिक स्नान के बाद होती है।
क्यों बीमार रहते है 15 दिन भगवान्
ऐसी मान्यता है की इस पवित्र स्नान करने के बाद भगवान् जगनाथ 15 दिनों के लिए बीमार क्यों हो जाते है . वो इसलिए होता है की पवित्र 108 कलशों के जल से उनका विशेष स्नान कराया जाता है, जिसे स्नान यात्रा कहा जाता है। और इतना अधिक स्न्नान करवाने के बाद भगवान् बीमार हो जाते है . जिसे ‘अनवसर काल’ कहते हैं। यह समय लगभग 15 दिनों का होता है। इस दौरान तीनो भगवान् जगनाथ भगवान् बलभद्र और बहन सुभद्रा को भक्त लोग सार्वजनिक रूप से दर्शन नहीं पाते क्योंकि उन्हें एक विशेष कक्ष में रखा जाता है जहां वैद्य (देवताओं के चिकित्सक यानि भगवान्ध न्वंतरि ) उनकी सेवा और उपचार करते हैं।
रथ यात्रा पर आधारित पौराणिक कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है राधारानी कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान् श्रीकृष्ण से मिलने आये . और वहां पहुंचकर उन्होंने भगवान् श्रीकृष्ण को वृन्दावन आने का न्योता दिया . और जब भगवान् ने उनका न्योता स्वीकार करके जब एक दिन श्रीकृष्ण , भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ द्वारका नगरी पहुंचे तब राधारानी, गोपियों और सारी वृन्दावन वासी इतना प्रफुलित हुए की सभी घोड़ो को हटाकर स्वय रथ को खींचते हुए पुरे नगर का भ्रमण करवाया .
इस अवसर पर समस्त वृन्दावनवासियों ने भगवान् को जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ कहकर पुकारा और उनकी जय-जयकार की. तभी से ये परंपरा वृन्दावन के अलावा जगनाथपुरी में शुरू हो है और हर साल मनाई जाती है .
रथ यात्रा का महत्व- Importance of Jagannath Rath Yatra Puri
रथ यात्रा का त्यौहार धार्मिक मान्यता के अनुसार बहुत हंत्व है . ऐसा मानना है की रथ यात्रा में शामिल होने या भगवान के दर्शन करने से उनके सभी पापों नष्ट हो जाते है . उन्हें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह यात्रा एकता और समानता का भी प्रतीक है, क्योंकि इसमें हर वर्ग के लोग बिना किसी भेदभाव के भाग लेते हैं। पुरी का जगन्नाथ मंदिर चार धाम तीर्थों में से एक है, और यह यात्रा भक्तों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है .
FAQs
Q. रथयात्रा क्यों मनाई जाती है?
Ans: रथयात्रा इसलिए मनाई जाती है क्योकि ऐसा मानना है की इस दिन भगवान् जगन्नाथ , भगवान् बलभद्र और बहन सुभद्रा नगर भ्रमण पर निकले थे . इसलिए इसे अब हर साल मनाई जाती है .
Q. रथ यात्रा की असली कहानी क्या है?
Ans: रथ यात्रा पर कई कहानिया प्रचलित है . आप इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है.
Q. रथ उत्सव कहाँ मनाया जाता है?
Ans: रथ यात्रा का उत्सव उड़ीसा राज्य के पूरी में मनाया जाता है .
Q. भगवान् जगन्नाथ के रथ का नाम क्या था?
Ans: नंदीघोष
Q. रथ यात्रा किस मंदिर से शुरू होती है?
Ans: श्री जगन्नाथ पूरी मंदिर पूरी उड़ीसा से
Q.रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ कौन-कौन शामिल होते हैं?
Ans: भगवान् बलभद्र और बहन सुभद्रा .
Q. रथ यात्रा का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
Ans: लोगों के अंदर धार्मिक भावना को मजबूत करना .
Q. रथ यात्रा किस महीने में होती है?
Ans: रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है .
Q. रथ यात्रा कितने दिनों तक चलता है?
Ans: नौ दिनों तक
Q. गुंडिचा मंदिर कहाँ स्थित है?
Ans: गुंडिचा मंदिर पूरी उड़ीसा में स्थित है .
Q. रथ यात्रा की शुरुआत किस अनुष्ठान से होती है?
Ans: रथ यात्रा की शुरुआत स्न्नान पूर्णिमा के बाद होती है .
Q. भगवान बलभद्र के रथ का नाम क्या है?
Ans: तालध्वज
Q. देवी सुभद्रा के रथ का नाम क्या है?
Ans: देवदलन रथ
Q. भगवान जगन्नाथ की मूर्ति किस लकड़ी से बनाई जाती है?
Ans: नीम की लकड़ी से
Q. भगवान जगन्नाथ का कौन सा रूप माना जाता है?
Ans: भगवान् श्रीकृष्ण के
Q. रथ यात्रा के रथ कितने पहियों के होते हैं?
Ans: भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए, भगवान्ब लभद्र के रथ में 14 पहिए और बहन सुभद्रा के रथ में 12 पहिए होते हैं.
Q. भगवान बलभद्र किसके अवतार माने जाते हैं?
Ans: शेषनाग के अवतार
निष्कर्ष : दोस्तों उम्मीद करता हूँ हमारी ये पोस्ट आप सभी को बहुत अच्छी लगी होगी. कोई कमी हो तो जरूर बताना.