
Saraswati Puja Par Nibandh: Welcome to my blogs! in this post we are going to write an Essay on Saraswati Puja means Saraswati Puja par Nibandh.
Saraswati Puja Par Nibandh in Hindi
जिस प्रकार माँ लक्ष्मी धन की देवी है ठीक उसी प्रकार माँ सरस्वती बुद्धि और ज्ञान की देवी है . हम उनकी पूजा करके उनसे ज्ञान और सद्बुद्धि मांगते है . माँ सरस्वती की पूजा हर साल पवित्र माघ महीने के पंचमी तिथि को मनाई जाती है . इनकी पूजा स्कुल, कालेज और शिक्षा-संस्थानों में ही होती है . सरस्वती माता सभी के अंदर ज्ञान और विवेक का भंडार भरती है ताकि वह संसार में अपनी विवेक और ज्ञान का सही तरह से उपयोग कर सके . साथ ही सरस्वती माता संगीत एवं सुर के लहर भी देती है . सरस्वती पूजा को श्रीपंचमी तथा वसंत पंचमी भी कहते है .
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इस अवसर पर माँ सरस्वती की पूजा पुरे विधि-विधान से होती है . सभी लोग पिले रंग के कपडे पहनते है . मंत्रोचारण होता है . मंत्रोचारण के पश्चात् आरती होती है . और आरती के पश्चात सभी छात्र सरस्वती माता के चरणों में अपना ध्यान लगाते है . उनसे विद्या और ज्ञान मांगते है ताकि उनकी जीवन रूपी नैया पार लग सकते . और अंत में सरस्वती वंदना गाकर पूजा का समापन्न करते है . तत्पश्चात प्रसाद वितरण होता है .
क्रम | नाम |
नाम | सरस्वती पूजा |
प्रमुख देवी | सरस्वती माँ |
कौन मनाता है ? | हिन्दू धर्म के लोग |
कब मनाया जाता है ? | वसंत पंचमी, माघ महीने में |
देवी है . | बुद्धि, ज्ञान, कला तथा संगीत के प्रतीक |
अन्य नाम | श्रीपंचमी , बसंत पंचमी |
सरस्वती के पर्यायवाची शब्द | भारती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, बुद्धिदात्री, वरदायिनी, चंद्रकांति और भुवनेश्वरी |
Essay on Saraswati Puja in English
Saraswati Puja is the famous and popular festival of Hinduism. As per Hindi Calenders it is celebrated every year on Magh Months 5th day of after full Moon. Saraswati Puja is known as Vasant Panchami and Shripanchami. People celebrated with great enthusiasm. Saraswati Puja is a significant Hindu festival and is celebrated across India. Saraswati Puja is dedicated to Goddess Saraswati. Goddess Saraswati is a wisdom, learning, music, and arts.
सरस्वती पूजा का त्यौहार वसंत ऋतू के आगमन का त्यौहार है . यह त्यौहार माघ महीने के पंचमी तिथि को हर साल मनाई जाती है. सरस्वती माँ की कृपा से आपको बुद्धि और ज्ञान का भंडार का विकास होगा . सरस्वती पूजा को ऋतुओं के राजा वसंत के आगमन का त्यौहार भी माना जाता है . बसंत ऋतू के आगमन में प्रकृति चारो तरफ उसके स्वागत में पेड़ पर नए नए पते तथा कोपले आ जाती है . आम में मंजूरी आ जाता है . कोयल की मधुर मधुर आवाज से मन उमंग से भर जाता है . पूरा वातावरण आनंदमय हो जाता है . वातावरण सुहावना हो जाता है . किसान भाई लोग भी अपने फसल काट चुके होते है . ऐसे वातावरण में माँ सरस्वती की पूजा होती है . यह त्यौहार भारत के सभी हिस्से में मनाया जाता है . लोग विद्या की दात्री को दिल खोलकर पूजा अर्चना करते है . सभी स्कुल-कॉलेजों तथा शिक्षा संस्थानों में जबरदस्त उत्सव का आयोजन होता है .
सभी छात्र तथा छात्रा इस दिन स्नान आदि करके पिले रंग के वस्त्र पहन कर स्कुल जाते है . स्कुल में साफ-सफाई के साथ चारो तरफ रंग बिरंगी फूलों से सजा दिया जाता है . सरस्वती पूजा के एक दिन पहले ही सरस्वती माँ की एक प्रतिमा को स्थापित किया जाता है . स्कुल को डेकोरेट करने में स्कूलके कुछ सीनियर छात्र तथा क्लास टीचर सहयोग करते है. सरस्वती माँ की प्रतिमा को बहुत ही अच्छे ढंग से सजाया जाता है . फिर जिस दिन पूजा का दिन होता है . पंडित जी को बलाया जाता है . पंडित जी पुरे विधि- विधान से मंत्रोंच्चारण करके माँ सरस्वती की पूजा किया जाता है . उस मन्त्र को सभी छात्र आमने मन ही मन माँ सरस्वती के पूजा का मन्त्र का उच्चारण करते है ताकि माँ सरस्वती की उनपर कृपा बनी रहे .
पूजा सम्पन्न होने के बाद आरती होती है . माँ शारदे कहाँ तू बीणा बजा रही है , किस मंजू गान से तू जग को लुभा रही है , किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है … आरती गाया जाता है . फिर प्रसाद का वितरण होता है . स्कुल में खाने का भी आयोजन होता है . स्कुल में पूरी, सब्जी तथा खीर का आयोजन होता है . फिर सभी छात्र और शिक्षक मिलकर खाते है . फिर संध्या को 8 बजे रात्रि से नाटक का आयोजन किया जाता है . सीनियर छात्र तथा कुछ युवा लोग मिलकर कोई बढ़िया सा नाटक करते है ताकि समाज पर इसका सीधा असर पड़े . एक स्टेज बनाया जाता है . उस नाटक में कॉमिक तथा हंसी मजाक के कई प्रोग्राम दिखाया जाता है , जिसे देखकर सभी लोग आनंदित होते है . फिर अगले दिन माँ सरस्वती का विसर्जन किया जाता है .
विसर्जन के दिन माँ सरस्वती की प्रतिमा को पुरे बाजार तथा गांव में घुमाया जाता है . पुरे होली जैसा माहौल हो जाता है . लोग गाते है बजाते है औररंग गुलाल खेलते है . और इस प्रकार में नदी में पहुंचते है जहाँ बांध बांधा होता है , वहां माँ सरस्वती की प्रतिमा को नम आँखों से विसर्जन कर दिया जाता है . बीणा पुस्तक रंजीत हसते, माँ सरस्वती तुम्हे नमस्ते के उद्घोष के साथ विसर्जन हो जाता है .
सरस्वती पूजा भारतीय संस्कृति का प्रतीक माना जाता है . उनकी असीम कृपा से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है .
सरस्वती माँ पर आधारित पौराणिक कथाएं
माँ सरस्वती बुद्धि, ज्ञान, कला तथा संगीत के प्रतीक है . इनकी उतपति कैसे हुई ? माँ सरस्वती कौन थी ? और उनकी उत्पति कैसे हुई और इनके माता-पिता कौन है ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार ,ये ज्ञात है की सरस्वती जी का जन्म नहीं हुई बल्कि उनकी उतपति हुई है . सरस्वती जी की कोई मां नहीं है . माँ सरस्वती जी की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के तेज से हुई थी. इसलिए वह ब्रह्मा जी की पुत्री हुई . त्रिदेवों के कहने पर ब्रह्मा जी ने पुरे ब्रह्माण्ड की रचना की . लेकिन उन्हें लगा की फिर भी कोई कमी है . क्या कमी रह गई है ? किसी को पता नहीं था . पूरी पृथ्वी पर सुनसान पसरा था . फिर जब ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो एक अद्भुत देवी की उत्पति हुई . उस देवी के एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक और माला था . और वह अद्भुत थी . फिर सभी देवताओं ने मिलकर उस देवी को वीणा बजाने का निवेदन किया। तब माता सरस्वती ने उनका अभिवादन स्वीकार किया और वीणा बजाई। वीणा बजाते ही, वीणा की मधुर ध्वनि से सम्पूर्ण ब्रह्मांड गूंज उठा, थर्रा उठा । चारो तरफ पक्षियों का कलरव , कल-कल करती नदियाँ , पेड़-पौधे लह-लहाने लगे, पशु पक्षी की मधुर ध्वनि से वातवरण गूंज उठा .
यह ध्वनि तीनों लोकों, स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल, में फैल गई। सभी जीव-जंतुओं ने इस दिव्य संगीत का आनंद लिया। इससे ब्रह्मांड में एक नई चेतना और ऊर्जा का संचार हुआ। देवी सरस्वती के आगमन से सृष्टि में कला, ज्ञान और संगीत का प्रादुर्भाव हुआ। इस प्रकार, ब्रह्मांड में जो कमी लग रही थी, वह सरस्वती के आगमन से पूर्णता में बदल गई। माता सरस्वती के वीणा वादन से ब्रह्मांड में एक नया जीवन फूंका गया। इस तरह धरती पर देवी सरस्वती का आगमन हुआ। त्रिदेवों ने देवी सरस्वती को संसार में ज्ञान का प्रसार करने की मुख्य जिम्मेदारी दी। माता सरस्वती ज्ञान की देवी ही नहीं बल्कि उन्हें स्वर की देवी भी माना जाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार जो मनुष्य भी देवी सरस्वती की आराधना करता है, उसकी वाणी मधुर होती है और वे ज्ञान भी अर्जित करता है।
उस सरस्वती जी को विद्या की देवी एवं ज्ञान की देवी कहा जाता है .
FAQ
Q. सरस्वती पूजा क्यों मनाई जाती है?
Ans: माँ सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी है . उनकी पूजा अर्चना करने से ज्ञान और विद्या की वृध्दि होगी .
Q. सरस्वती पूजा का दूसरा नाम क्या है?
Ans: वसंत पंचमी तथा श्रीपंचमी .
Q. मां सरस्वती किसका प्रतीक है?
Ans: माँ सरस्वती बुद्धि, ज्ञान, कला तथा संगीत के प्रतीक है .
Q. छात्र सरस्वती की पूजा क्यों करते हैं?
Ans: विद्या और ज्ञान की प्राप्ति के लिए .
Q. मां सरस्वती के 12 नाम कौन से हैं?
Ans: मां सरस्वती के 12 नाम निम्न है : भारती, सरस्वती, शारदा, हंसवाहिनी, जगती, वागीश्वरी, कुमुदी, ब्रह्मचारिणी, बुद्धिदात्री, वरदायिनी, चंद्रकांति व भुवनेश्वरी.
उपसंहार : दोस्तों उम्मीद करता हूँ हमारी ये पोस्ट आप सभी को खूब पसंद आई होगी . कोई शिकायत या सुझाव हो तो कमैंट्स करके जरूर बताएं .