
Mahesh Navami Festival: Welcome to my blogs! In this post we will learn about Mahesh Navami Festival.
Mahesh Navami Vrat : हम त्योहारों के देश में रहते है . हमारे देश में हर दिन कोई न कोई त्यौहार तथा व्रत जरूर होता है . और आज हम बात कर रहे है . महेश नवमी की . महेश नवमी का त्यौहार हर साल जयेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को मनाई जाती है . महेश नवमी का त्यौहार भगवान् भोलेनाथ और माँ पार्वती को समर्पित है . यह त्यौहार मुख्य रूप से माहेश्वरी समाज के द्वारा मनाया जाता है . माहेश्वरी समाज के लोग इस त्यौहार को बड़ी ही आनंद, हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है . इस दिन विशेष रूप से भगवान् भोलेनाथ की पूजा विधि-विधान से पूजा होती है . माहेश्वरी समाज के लोग इस पर्व पर भगवान् महेश और माँ पार्वती की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है .
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महेश नवमी त्यौहार पर आधारित ये यूट्यूब वीडियो आप देख सकते है . जरूर देखें :
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महेश नवमी त्यौहार कब मनाया जाता है ?
हिंदी कैलेंडर के अनुसार महेश नवमी का त्यौहार जेठ महीना के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को हर साल मनाई जाती है . लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार साल 2025 में 03 जून को मनाई जाएगी और 04 जून बुधवार को इसका पारण होगा .
Mahesh Navami tyohar in hindi
महेश नवमी का त्यौहार प्रतिबर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल-पक्ष के नवमी तिथि को मनाई जाती है . इस पर्व को माहेश्वरी समाज के लोग मनाते है . क्योकि ऐसा मानना है की माहेश्वरी समाज के पूर्वजों की उत्पति भगवान् शिव के आशीर्वाद से ही हुई थी .
यानि माहेश्वरी समाज के लोग इस व्रत को बहुत ही धूम-धाम और आनंद के साथ मनाते है . क्योकि वे लोग इस उत्सव को भगवान् महेश का आशीर्वाद मानते है . माहेश्वरी समाज के पूर्वज को भगवान् भोलेनाथ ने आशीर्वाद देकर पुनः जीवित किया था . इसलिए भगवान् का आशीर्वाद माहेश्वरी समाज के लोग मानते है . इसलिए यह त्यौहार माहेश्वरी समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन होता है . वे सभी इस उत्स्व को पुरे विधि-विधान से भगवान् भोलेनाथ और माँ पार्वती की पूजा करते है .
महेश नवमी व्रत पर पूजा कैसे करें :
महेश नवमी का त्यौहार अत्यंत फलदायी और शुभ माना जाता है . इसलिए आइए जानते है की इस पर्व को कैसे किया जाए . सबसे पहले शुभ मुहूर्त में उठकर घर तथा आस पड़ोस की साफ सफाई करनी है . उसके बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करना है . पुनः घर के आँगन में चौका करके भगवान् भोलेनाथ और माँ पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करनी है . तथा भगवान् की प्रतिमा पर चन्दन, धुप, अक्षत चढ़ाये और दीपक प्रज्वलित करें . भगवान् भोलेनाथ को बेलपत्र, धातुरा तथा भांग का भोग अवश्य लगाएं . उसके बाद ओम नमः शिवाय का जप करें और महेश नवमी की कथा को ध्यानपूर्वक सुने .अंत में आरती लगाएं . ॐ जय शिव ओंकारा . फिर प्रसाद वितरण करे और भगवान् और माता से आशीर्वाद प्राप्त करें .
महेश नवमी पर आधारित पौराणिक कथा
महेश नवमी (Mahesh Navami) का त्यौहार को माहेश्वरी समाज के द्वारा मनाया जाता है . ऐसी मान्यता है की माहेश्वरी समाज के बंशज की उत्पति के रूप में इस त्यौहार को मनाते है . ऐसा मानना है की माहेश्वरी समाज के बंशज को भगवान् भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त हुआ था . पुराणों के अनुसार किसी नगर में राजा खडगलसेन राज्य करते थे . उनके राज्य में सभी प्रजा सुखी और संपन्न थे . राजा की उदारता की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी . राजा खडगलसेन को उनकी प्रजा उन्हें पिता का सम्मान देते थे . लेकिन राजा खडगलसेन हमेश दुखी रहते थे क्योकि उन्हें कोई संतान नहीं थी . राजा खडगलसेन ने भगवान् भोलेनाथ की कठिन तपस्या की जिसके फलस्वरूप उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम राजा खडगलसेन ने सुजान कँवर रखा .
ऋषियों तथा ज्योतिषियों ने राजा खडगलसेन को कहा की अपने पुत्र को 20 बर्ष तक उन्हें उत्तर दिशा में जाने नहीं देना . समय धीरे-धीरे बीतने लगा . राजा सुजान बड़ा हो गया तो एक दिन वह शिकार खेलने के लिए अपने सिपाहियों के साथ उत्तर दिशा की और चला ही गया . वहां जाने के बाद वो क्या देखता है की वहां बहुत से ऋषि-मुनि तपस्या में लीन है और यज्ञ कर रहे है . सुजान को इसी ऋषि -मुनियों ने उत्तर दिशा में आने से मना किया था . यह जानकर सुजान को ऋषि-मुनियों पर बहुत गुस्सा आया . और उन्होंने उनका यज्ञ को बिध्वंस कर दिया .और उन्हें बुरा-भला भी कहा .
उनके इस व्यवहार से ऋषि मुनि कुपित होकर उनलोगों को श्राप दे दिया और श्राप के प्रभाव से वे सभी पत्थर की मूरत बन गए . राजकुमार सुजान और उनके सिपाही सभी के सभी पत्थर की मूर्ति बन गए . जब यह समाचार का पता राजमहल में चला तो राजकुमार सूजन कँवर की पत्नी चंद्रावती ने सभी सिपाहियों की पत्नी के साथ मिलकर भगवान् भोलेनाथ की पूजा अर्चन पुरे विधि-विधान से की . भगवान् भोलेनाथ ने उनकी प्रार्थना को सुन ली और उन सभी को श्राप से मुक्त कर दिया . वह दिन नवमी ही थी . इसलिए माहेश्वरी समाज के लोग महेश नवमी त्यौहार को हर्ष और उल्लास के साथ मनाते है . क्योकि भगवान भोलेनाथ की कृपा उन पर बरसी थी .
महेश नवमी का महत्व
यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. महेश नवमी पर पूजा करने से सुख-समृद्धि, शांति और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है. भक्त इस दिन भगवान शिव से अपने कष्टों को दूर करने और मनोकामनाओं को पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं. यह त्यौहार सामाजिक एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है .
FAQs
Q. महेश नवमी का त्यौहार कब मनाया जाता है ?
Ans: महेश नवमी का त्यौहार ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को मनाई जाती है .