प्रस्तावना
Janmashtami par Nibandh: आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार है , जिसे पुरे देश में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के त्यौहार भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म के उत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है . जन्माष्टमी का त्यौहार हिन्दू धर्म में बहुत ही उत्साह और धूम-धाम से मनाया जाता है . यह त्यौहार केवल भारत में ही दुनिया के कई देशों में मनाई जाती है , जहाँ भारतीय निवास करते है . लेकिन इस्कॉन मंदिर दुनिया के जिस-जिस देश में है वहां-वहां तो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है . You can watch this video for your ref:
जन्माष्टमी का त्यौहार कब मनाया जाता है ?
जन्माष्टमी का त्यौहार भाद्रपद महीने के अष्टमी तिथि को मनाई जाती है . क्योकि इसी दिन भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म महराज कंस के कारागार में हुई थी . इसलिए हर साल इस तिथि को जन्माष्टमी के रूप में श्रद्धालु मनाते है . साल 2025 में यह तिथि 16 अगस्त 2025 को शनिवार को है .

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कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है . जन्माष्टमी के पूर्व ही देवालय को सजाया जाता है . भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के अष्टमी तिथि को हुआ था . इसलिए जन्माष्टमी पर भगवान् श्रीकृष्ण के बाल-स्वरुप की पूजा उपासना की जाती है . भगवान् श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे . भगवान् का जन्म आततायी कंस के कारागार में हुई थी .
जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व क्या है ?
हिन्दू -धर्म में जन्माष्टमी का बहुत ही महत्व है . इस उत्सव पर सभी लोग बहुत ही धूम-धाम से मनाते है . चारो तरफ वातावरण धर्ममयी हो जाता है . भगवान् कृष्णा के मधुर भजन सुनाई देते है . और दूसरा धार्मिक महत्व ये है की यह उत्सव भगवान् श्रीकृष्ण का जन्म-उत्सव है . भगवान् श्रीकृष्ण धर्म का प्रतिक है . उनके पृथ्वी पर अवतार धर्म की स्थापना के प्रतिक के रूप में मनाया जाता है . जन्माष्टमी का त्यौहार बुराई पर अच्छे का पर्व है , क्योंकि भगवान् श्रीकृष्ण जो विष्णु भगवान् के आठवें अवतार लेकर कंस और न जाने कितने पापियों का अंत करके धर्म का कल्याण किया .
जन्माष्टमी का त्यौहार प्रेम. भक्ति और उत्साह का पर्व है . इस दिन भक्तगण भगवान् श्रीकृष्ण के बाल-लीलाओं का मंचन करते है और उनके किस गए आचरण को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते है . भगवान् कृष्णा की बाल-लीलाओं में रासलीला बहुत prachalit है तथा महाभारत युद्ध में उन्होंने धर्म का साथ देकर अधर्मियों का सत्यानाश करके धर्म की नीव रखी है .
धार्मिक अनुष्ठान
भक्तगण इस अवसर पर दिनभर उपवास रखकर संध्या वेला में मंदिर पहुंचकर भगवान् श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते है . और अपने जीवन को धन्य मानते है .
दही हांडी
जन्माष्टमी का त्यौहार पुरे भारतबर्ष में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाई जाती है . लेकिन कुछ कहॉं पर जन्माष्टमी पर दही हांडी प्रतियोगिता का जबरदस्त आयोजन होता है . जिसमे गोविंदा आता है और दही हांडी प्रतियोगिता में भाग लेकर उस मटकी को फोड़ता है . जो भी गोविंदा उस मटकी को फोड़ता है . सबलोग उसका जय-जयकार करके उसे उपहसर स्वरुप इनाम भी देते है . और इस दही हांडी का आयोजन हर साल होता है . महाराष्ट्र सरकार ने दही हांडी को राष्ट्रीय त्यौहार में शामिल किया है . इसलिए दही हांडी का महाराष्ट्र में भव्य आयोजन होता है .
कृष्ण जन्माष्टमी पर आधारित पौराणिक कथा
पौराणिक धरम ग्रंथों के अनुसार द्वापर युग में उग्रसेन नामक राजा मथुरा पर राज करता था . उसका अत्याचारी पुत्र का नाम था कंस . वह बहुत ही अत्याचारी था . उसने एक दिन अपने पिता उग्रसेन को तलवार के बल पर बंदी बना कर खुद मथुरा की गद्दी पर राजा बन बैठा . उनकी एक बहन थी जिनका नाम देवकी था , जिनका विवाह यादवों के सरदार वासुदेव से करवा दिया . देवकी कंस की बहुत प्यारी थी . वह अपनी प्यारी बहन को ससुराल छोड़ने जा रहा था . तभी अचानक आकाशवाणी हुई की कंस जिसे तू डोली में बैठकर ले जा रहा है उसी का आठवाँ पुत्र तेरा सर्वनाश करेगा . इस आकाशवाणी को सुनकर कंस अपने बहन को वापस ले आया और उसे कारगर में दाल दिया . और चारो और कड़ा पहरा लगा दिया .
फिर कंस एक दिन अपने बहनोई वासुदेव को ही मारना चाहता था तो देवकी ने बोला की मेरे पति को मत मारो मेरे जो भी संतान जन्म लेगा वो सब में आपको लेकर सौप दूंगा . और इस प्रकार देवकी से एक-एक करके सात बच्चे ने जन्म लिया कंस ने उन सभी को मारता गया . फिर जब देवकी की आठवें संतान का समय आया तब कंस अपने कारागार में कड़े पहरा लगा दिया . जब देवकी और वासुदेव सोए हुए थे तब भगवान् विष्णु शंख, चक्र और गद्दा लिए अपने विराट रूप में प्रकट हुए और वासुदेव को आज्ञा दी में आपके पुत्र रूप में प्रकट होउगा आप मुझे गोकुल में नंदराय के यहाँ छोड़ आना और उनके यहाँ एक पुत्री ने जन्म लिया है उसे साथ लेकर देवकी को दे देना . रात को बारह बजे भगवान् श्रीकृष्ण ने अवतार लिया उस समय उनकी सभी बेड़ियाँ अपने आप खुल गए और सभी पहरेदार गहरी निंद्रा में चले गए . वासुदेव ने भगवान् के बताये के अनुसार ही किया और उस कन्या को लेकर देवकी के पास रख दिया . सुबह होते ही जब कंस आया तो उसे कन्या जन्म का पता चला जिसे कंस अपने हाथों से हत्या करना चाहता था लेकिन वह उनके हाथ से छूटकर आकाश में चली गई और बोली अरे मुर्ख मुझे मरने से कुछ नहीं होगा तुझे मरने वाला ने जन्म ले लिया है . भगवान् श्रीकृष्ण की जन्म की कथा यही है .
FAQs
Q. श्री जन्माष्टमी कब मनाई जाती है ?
Ans: भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि को .
Q. जन्माष्टमी पर खीरा क्यों काटते हैं?
Ans: यह श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक है .
Q. जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ?
Ans: भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है .
Q. जन्माष्टमी किस देवता को समर्पित है ?
Ans: भगवान् श्रीकृष्ण को