Chaturmas : Welcome to my blogs1 In this post we will learn about Chaturmas. What is Chaturmas and why Lord Vishnu went to rest place in chaturmas.
चातुर्मास क्या है ? What is Chaturmas ?
दोस्तों शिक्षा के साथ-साथ संस्कार का होना भी अत्यंत आवश्यक है . इसलिए हमारे ब्लॉग में इसलिए धार्मिक और ज्ञानप्रद कहानी लेकर आता हूँ. ताकि आपके संस्कार में धर्म, भक्ति और साधना बढे . तभी आप अपने परिवार और समाज का तरक्की कर पाएंगे . इसलिए हम इस Post में चातुर्मास के बारे में बात करेंगे . चातुर्मास क्या होता है . और भगवान् विष्णु इन चातुर्मास में योग-निंद्रा में क्यों चले जाते है ? इसका क्या भेद है ? सृष्टि के पालनहार जब योग-निंद्रा में चले जाते है तो सृष्टि को इन चातुर्मास पर कौन देखभाल करता है ? तो आइए इन सब बातों पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे . दोस्तों आप सभी लोग यह तो जानते ही होंगे की जग के पालनहार भगवान् विष्णु को कहा जाता है . जग को देखरेख वही करते है . इसलिए इस संसार में भगवान् विष्णु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है . यानि भगवान् विष्णु दुनिया के सुख-दुःख के लिए हमेशा 24 घंटे तैयार रहते है . भगवान् विष्णु के साथ अन्य देवी-देवता भी उनके हाथ बटाते है . और तभी सृष्टि का हर काम संतुलन में रहता है . लेकिन एक समय ऐसा आता है जब जग के पालनहार यानि भगवान् विष्णु चातुर्मास में योग-निंद्रा यानि गहरी निंद्रा में चले जाते है . इसे ही चातुर्मास की अवधि कहा जाता है . और धार्मिक दृष्टि से चातुर्मास अशुभ माना गया है .
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चातुर्मास कब पड़ता है ?
चातुर्मास का अर्थ होता है चार महीना जैसे : सावन , भाद्रपद , आश्विन और कार्तिक. साल के इन चार महीना चातुर्मास के अंदर आता है . और अगर वैदिक पंचांग के अनुसार देखे तो यह अवधि 6 जुलाई से शुरू होता है और 01 नवंबर तक चातुर्मास रहता है . और इस अवधि में भगवान विष्णु पाताल लोक में योग निद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान सभी मांगलिक करना अशुभ माना जाता है . चातुर्मास पर भगवान् विष्णु और अन्य देवी-देवता भी सभी योग-निंद्रा में चले जाते है . चातुर्मास पर आधारित ये वीडियो भी आप देख सकते है . जरूर देखें :
क्या चतुर्मास में शुभ मांगलिक कार्य करना शुभ है ?
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जब चतुर्मास पड़ता है तो जैसे ग्रहण ही लग जाता है और इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं कर सकते है . क्योकि उस समय हमारे शुभ कार्य पर अशुभ की दृष्टि होती है . इस अवधि पर कोई भी शुभ कार्य जैसे : शादी, सगाई, मुंडन, गृह-प्रवेश जैसे शुभ-कार्य करना वर्जित माना जाता है . हिन्दू धर्म के अनुसार ऐसा मानना है की चातुर्मास में किया गया कार्य अशुभ होता है यानि फलदायक नहीं होता है . इसलिए आप भी इन चार महीना में कोई भी शुभ कार्य मत करना .
भगवान् विष्णु योग निंद्रा में क्यों चले जाते है इसमें एक ज्ञानप्रद और शिक्षाप्रद कहानी छिपी हुई है . तो आइए चलते है और इस कहानी को जानते है . यह कहानी राजा बलि पर और विष्णु भगवान्आ के वामन अवतार पर आधारित है .
चतुर्मास पर आधारित पौराणिक कहानी
पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यराज बलि एक महा-पराक्रमी और महा-दानी थे . उसने अपना तप और पराक्रम से तीनो लोको पर अधिकार कर लिया था .उनके गुरु शुक्राचार्य ने उनसे 100 यज्ञ करवा रहे थे . अगर उनका 100 यज्ञ पूरा हो जाता तो वह स्वर्ग का राजा बन जाता . तो भगवान् इंद्रदेव का पद छीन जाता . भगवान् इंद्रदेव विष्णु भगवांन के शरण में जाकर मदद की गुहार लगाई .
तो भगवान् विष्णु ने राजा बलि के अहंकार के दमन के लिए वामन अवतार लिया था . गुरु शुक्राचार्य ने 100 वां यज्ञ का अनुष्ठान जब करवा रहे थे . तब वामन भगवान् राजा बलि की परीक्षा लेने पहुंचे . वामन भगवान् ने राजा बलि से मात्र तीन पग धरती मांगी. राजा बलि ने एक बौना समझकर उसे वचन दे दिया . जबकि उनके गुरु शुक्राचार्य कह रहे थे ये भगवान् विष्णु है इन्हे वचन मत दो . ये तुम्हारा 100 यज्ञ का सारा फल एक बार में मांग लेंगे . लेकिन राजा बलि ने उनकी एक न सुनी और वचन दे दिया था . इससे गुरु शुक्राचार्य भी उनसे नाराज हो गए .
वामन अवतार और राजा बलि की कहानी
जैसे ही राजा बलि ने संकल्प किया . वामन भगवान् अपने विराट स्वरुप में आ गए . और एक पग में आकाश और दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया . और अब तीसरा पग के लिए कोई स्थान नहीं बचा था . तब भगवान्तो ने राजा बलि से पूछा : मेँ तीसरा पग कहा रखूं . तो राजा बलि ने भगवान् आप तीसरा पग मेरे सर पे रखिए . तीसरा पग जब प्रभु ने उसके सर पे रखा तो वह पाताल चला गया . लेकिन अपना वचन झूठा नहीं होने दिया .
राजा बलि के इस दान-वीरता और समर्पण से भगवान् अत्यंत प्रसन्न हुए . और भगवान् विष्णु ने उससे वरदान मांगने को कहा : तो राजा बलि ने भगवान से प्रार्थना किया कि आप हमारे साथ पाताल लोक में रहे. यही हमारी इच्छा है . और भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक में रहने लगे. तभी माता लक्ष्मी ने राजा बलि को भाई मानकर राखी बांधी और भगवान विष्णु को आजाद करने की प्रार्थना की. भगवान विष्णु किसी भक्त को निराश नहीं करते हैं, इसलिए भगवान विष्णु ने कहा कि 4 महीने हरिशयन एकादशी से लेकर कार्तिक एकादशी तक में पाताल लोक में ही रहूंगा. और फिर भगवान् विष्णु जग का सञ्चालन अपने हाथ में लेते है . फिर शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत होती है .
चतुर्मास पर जग की देखभाल कौन करता है ?
दोस्तों जब चतुर्मास पर जग के पालनहार भगवान्चा विष्णु निंद्रा में सो जाते है तो इस चातुर्मास पर भगवान् भोलेनाथ के परिवार पर इसकी जिम्मेदारी दी जाती है . यानि इन चार महीना में भगवान् शिव जी सक्रीय रहते है . चातुर्मास पर भगवान् शिव, माँ पार्वती, भगवान् गणेश और भगवान् कार्तिकेय के परिवार की जिम्मेदारी रहती है .
सावन का महीना : सावन का महीना भगवान् शिव को समर्पित है . वे संहारक के देवता माने जाते है . लेकिन सावन महीना में भगवान् शिव जी सक्रिय रहते है . जग को नकारात्मक शक्ति से रक्षा करते है और प्रकृति का संतुलन कायम रखते है . आपने जरूर देखा होगा सावन आते ही भगवान् भोलेनाथ की कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है .
भाद्रपद का महीना : भाद्र का महीना भगवान् गणेश को समर्पित है . गणेश चौथ का त्यौहार इस महीना में मनाया जाता है . जिसे दुनिया गणेश उत्सव के नाम से जानती है . भगवान् गणेश की पूजा अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है . इस महीना मेँ गणेश जी सक्रीय होते है .
आश्विन का महीना : चातुर्मास का तीसरा महीना आश्विन होता है . आश्विन महीना माँ पार्वती को समर्पित है . आश्विन महीने में दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है जिसे नवरात्रि का त्यौहार भी कहा जाता है . इसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक होती है . माँ दुर्गा माँ पार्वती का ही रूप है . इस महीने में माँ दुर्गा सक्रिय रहती है .माँ दुर्गा भगवान् विष्णु के अनुपस्थिति में जग का देखभाल करती है और नए ऊर्जा का संचार करती ही .माँ दुर्गा की पूजा करने से समस्त प्रकार के नौ रूपों में फल की प्राप्ति होती है .
कार्तिक महीना : चातुर्मास का चौथा महीना कार्तिक होता है . और यह महीना भगवान् कार्तिकेय को समर्पित है . इस महीना में भगवान् कार्तिकेय सक्रीय रहते है . अर्थात चातुर्मास पर जग की जिम्मेदारी भगवान् शंकर की परिवार पर रहता है .